महामारी में शादी का जश्न

महामारी में शादी का जश्न
एक ओर सारी दुनिया की सरकारें चीख-चीख कर कह रही है कि घर से बाहर ना निकले, अंदर ही रहे। खुद भी सुरक्षित रहे और अपने परिवार को भी सुरक्षित करें। सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील भारत सरकार भी हर दिन कर रही है। लेकिन लोग हैं कि मानने को तैयार ही नहीं। खुद कई बड़े नेता भी इस तरह की गैरज़िम्मेदाराना हरकत से बाज नहीं आ रहे हैं। अब कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी को ही ले लीजिये। सारी दुनिया इधर की उधर क्यों न हो जाए लेकिन इन्हें रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने तो जो करने की ठान ली उसे मजाल है कि कोई बदल दे। एच डी कुमारस्वामी को अपने बेटे निखिल कुमारस्वामी की शादी करनी थी और वो भी गाजे बाजे के साथ। बेटे की शादी भी हुई और खूब भीड़-भाड़, रस्मों रिवाज़ के साथ हुई और इसके साथ ही सरकारी पूर्णबंदी के ऐलान की धज्जियां भी उड़ी। 

ऐसे राजनेता जिन्होंने पूरे प्रदेश का संचालन किया है, राज्य के सर्वोच्च पद पर आसीन रह चुके हैं उनसे कर्नाटक की जनता और पूरे देश को ऐसी ग़ैरज़िम्मेदार हरकत की उम्मीद कतई नहीं थी। जब देश का हर नागरिक कोरोनावायरस जैसी महामारी का सामना करने के लिए दिशा-निर्देशों को हरसंभव मानने की कोशिश कर रहा है, ऐसे में एच डी कुमारस्वामी जैसे राजनेता इस तरह की लापरवाही करके कौन सा संदेश देना चाहते हैं? क्या वो पूरे देश को ये कहना चाहते हैं मेरे जैसा रसूखदार राजनेता कोई नहीं है या फिर ये कहना चाहते हैं कि मैं डंके की चोट पर जो करना चाहूं कर सकता हूं। उच्च पदों पर बैठे और सामाजिक हैसियत वाले लोगों से ऐसे संकट के समय अपेक्षाएं और भी बढ़ जाती है। क्योंकि जनता भी इन्हें रोल मॉडल की तरह देखती है। इनके बताये रास्ते पर चलती है। ऐसा नहीं है कि शादी की तय तारीख को महामारी के चलते थोड़े महीनों के लिए टाला नहीं जा सकता था। कुमारस्वामी ने ऐसा किया होता तो वो एक राजनेता के तौर पर पूरे देश के लिए मिसाल कायम करते। लेकिन इस अनावश्यक आडंबर से लगता है कि एचडी कुमारस्वामी ने अपना कद लोगों की नज़र में कम कर लिया है     

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