रंजिशें तेरे-मेरे बीच की

तुझे मुझसे है
मुझे तुझसे है प्यार
तो किस बात की है तकरार

फिकर मुझको है तेरी
फिकर तुझको है मेरी
तो शिकायतें किस बात की है यार

दुनियादारी और ज़िम्मेदारी
उसपे ज़िंदगी की मारामारी
बढ़ा देती है बीच की दूरियां हमारी

करें किस बात का इंतजार
जब ज़िंदगी बनती है हर इक रोज़ से यार

चल मिल कर करते हैं हर रंजिश को अपनी ज़िंदगी से फ़रार
लातें हैं फिर से ज़िंदगी में 
इक नई बहार
फूलों की महक संग हल्की बारिश की फुहार
हम कल भी थे साथ
हम अब भी हैं साथ
  साभार: दीप्ति

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