मोहब्बतें इजहार

ना मोहब्बतें इजहार
ना मोहब्बतें इकरार 
किस तरह जानूं तुझे मुझसे है प्यार
है तू फिक्रमंद मेरे लिए
नहीं इस बात से इंकार
पर केवल इसी एहसास को कैसे समझ लूं मैं प्यार

खुद को दूर करके भी परखा मैंने
तेरे दिल को क्या है मेरा इंतजार
इतने बेगाने से वो मिला मुझसे
जैसे मिली हूं मैं उससे पहली बार
तो इस एहसास को कैसे समझ लूं प्यार

आता है तू जब भी करीब मेरे
मेरे दिल के दरवाजे पर होते हैं अक्स तेरे
तो क्यूं रह जाते हैं अधूरे अरमान मेरे
कि देखूं अपना भी अक्स दिल में तेरे
कुछ तो कर दिले इजहार
जिस पे कर लूं मैं एतबार
कि तुझे भी है मुझसे प्यार
साभार: दीप्ति

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