राजधानी के दिल में पायरेसी का स्वर्ग

नेहरु प्लेस- एशिया का सबसे बड़ा कंप्यूचर मार्केट
राजधानी से दूर बैठे लोगों को शायद ही पता होगा कि दिल्ली के दिल में एक ऐसी जगह है जो कंप्यूटर पायरेसी की धड़कन है. नेहरु प्लेस में कंप्यूटर से जुड़ा हर वो काम आसानी से करवाया जा सकता हैं जिसे पूरा करने के लिए आमतौर पर मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है. मसलन, आपका कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम पुराना पड़ गया है और आप विंडोज 10 पर उसे अपग्रेड करना चाहते हैं तो आपको नेहरु प्लेस में इसके लिए महज 100 से 200 रुपये ही खर्च करने होंगे और विंडोज 10 की पायरेटेड सीडी आपके हाथों में होगी. सीडी लेने के बाद भी आप खुद अपने कंप्यूटर को अपग्रेड नहीं कर पा रहे हैं तो उसका भी इलाज नेहरु प्लेस में घूम रहे छोटे-बड़े एजेंटों के पास चुटकियों में होगा. वो 200 या 300 रुपये और लेकर आपका ये काम कुछ घंटों में आसानी से कर देंगे. अब सवाल ये उठता है कि राजधानी में सबकुछ है, केंद्र सरकार है, दिल्ली सरकार है...फिर भी पायरेसी का इतना बड़ा गोरखधंधा कैसे चलता रहता है. एक सर्वे में नेहरु प्लेस को एशिया का सबसे बड़ा कंप्यूटर मार्केट बताया गया था. तो क्या इतने बड़े बाज़ार में रोज़ाना फलते-फूलते इस गोरखधंधे पर किसी सरकारी एजेंसी की नज़र नहीं पड़ती है? 
नेहरु प्लेस - पायरेटेड सॉफ्टवेयर का गढ़
अभी कुछ दिनों पहले मैं नेहरु प्लेस गया था. मेरे वनप्लस मोबाइल का स्क्रीन टूटकर चकनाचूर हो गया था. उसे बदलने के लिए जब मैंने वनप्लस के कस्टमर केयर में फोन किया तो उन्होंने इसके लिए इतनी बड़ी रकम मांगी कि एक नया मोबाइल ही उतने में मैं खरीद सकता था. अब केवल टूटे स्क्रीन के लिए तो नया मोबाइल लेने का कोई तुक नहीं बनता, सो मैंने नेहरु प्लेस का रुख किया. पायरेटेड सॉप्टवेयर के अलावा नेहरु प्लेस की एक और खूबी है, वो है सस्ते हार्डवेयर. मेरे मोबाइल का टूटा सॉफ्टवेयर भी यहां महज एक तिहाई कीमत पर चेंज हो गया. पायरेसी के इस गढ़ में एक और चीज आपको यहां ढूंढने पर मिल सकती है जो शायद कहीं और नहीं मिलेगी. इस बाज़ार में वैसे हार्डवेयर जो अब कंपनियां नहीं बनाती हैं और जो हार्डवेयर आउटडेटेड हो चुके हैं वो भी मिल जायेंगे.
महंगे-सस्ते कंप्यूटर हार्डवेयर का केंद्र - नेहरु प्लेस
लेकिन इन सबके बावजूद नेहरु प्लेस की एक ही पहचान, सबसे बड़े पायरेसी मार्केट के तौर पर बनी है. समय समय पर सरकारी एजेंसियों ने यहां छापा मारकर पायरेसी के बाज़ार को खत्म करने की कोशिश की. पायरेटेड सॉफ्टवेयर को ज़ब्त कर सरेआम रोड रोलर भी चलवाया. इसका असर कुछ समय के लिए तो हुआ लेकिन जल्द ही पायरेटेड सॉफ्टवेयर की दुकानें फिर से खुल गईं. मुझे लगता है कि पायरेसी का एक दूसरा पहलू भी है. सोचिये लोग पायरेटेड सॉफ्टवेयर या नकली सामानों के पीछे क्यों भागते हैं. एक सबसे बड़ा कारण तो ये भी है कि असली माल को कंपनियां इतने महंगे में बेचती है कि ये सबकी पहुंच से दूर हो जाती है. लोग सस्ता विकल्प देखने लगते हैं. इसी चलते देश भर के कई कोनों में पायरेसी का बाज़ार खड़ा हो जाता है. पूरी दुनिया में पायरेटेड सॉफ्टवेयर का बड़ा मार्केट है जिसे सरकारें खत्म नहीं कर पाई हैं. कंपनियों को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ता है. मेरे ख्याल से ऐसा ही चलता रहेगा जब तक कि कीमतों में भारी अंतर बना रहेगा.    

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