रेलवे स्टेशन पर एक सुबह

काम की दौड़ और भागमभाग...अगर इसे सटीक तौर पर देखना है तो रेलवे स्टेशन से बेहतर जगह शायद और कोई नहीं हो सकती है. कोई ट्रेन रूकने के साथ ही दौड़ा जा रहा है तो कोई चुपचाप अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता जा रहा है. किसी के हाथ में सामान का बोझा है, कंधों पर एक भारी बैग तो लटका ही रखा है तो साथ में धर्मपत्नी ने दूसरे कंधे पर दो और बैग दे दिया है, भीड़ में बच्चा खो ना जाए तो मम्मी भी अपने लाड़ले की उंगली कसकर पकड़ रखी है, बुज़र्ग महिलाएं भी धीरे-धीरे कदम बढ़ाती आगे बढ़ती है, ऐसे कई नज़ारे प्लेटफॉर्म पर नज़र आते रहते हैं. यानी रेलवे प्लेटफॉर्म  हमेशा जीवंत रहता है जिसपर हर पल ज़िंदगी की गाड़ियां दौड़ती रहती हैं. 

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