फ्रेंडशिप डे पर अर्ज किया है...

गृहस्थी में ऐसी उलझी ज़िंदगी
यारों के दीदार को तरसे
कभी फुरसत भी मिली तो
यार ना मिले...

आज बैठकर यही सोचते हैं
यार ना सही 
यारों को भेजे अलफाज तो मिले

चलो, बाकी है... 
महक है कुछ उनकी
वो ना सही... 
पेश किए यारों के नज़राने ही सही

इन नज़राने को पुरानी यादों से 
कर लेंगे बंद पलकों में उनका दीदार
और उठाएंगे दुआ में हाथ
कि छूटे ना कभी यारों का साथ
साभार:दीप्ति


Popular Posts