शर्म भी, गुस्सा भी.. आखिर कब तक?
शर्म क्या
होती है? क्या हताशा में कुछ ना कर पाने और गुस्से को चीखकर ना बता पाने की असमर्थता भी शर्म का एक पहलू है? क्या
बेहद तेजी से विकास कर रहे देश में
मूलभूत चीजों के लिए लाचारी एक व्यापक शर्म की निशानी है? हरियाणा के रेवाड़ी ज़िले में एक गांव है गोठड़ा टप्पा डहीना. यहां की 80
स्कूली छात्राएं एक हफ्ते से धरने पर बैठी हैं. उनके साथ गांव की मां-बेटियां,
पिता,
भाई
से लेकर बुज़ुर्ग तक सब भी एक ऐसी मांग को लेकर धरने पर हैं जिसपर
भरपूर गुस्सा है और शर्म भी. गुस्सा इस बात का है कि गांव में दसवीं के बाद लड़कियों की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है, लड़कियों
को आगे पढ़ने के लिए गांव से ढाई-तीन किलोमीटर
दूर जाना पड़ता है और रास्ते में कई असमाजिक तत्वों
की छेड़खानी का शिकार होना पड़ता है. गुस्सा इस बात का है कि इसकी जानकारी होने के बावजूद पुलिस, स्थानीय
प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक उदासीन रही है.
शर्म इस बात की है कि समृद्ध होते समाज में अब भी हमारे गांव
स्कूल
की सुविधा से मरहूम हैं और लड़कियों को अपनी पढ़ाई छोड़कर कड़ी धूप में अनशन पर बैठना पड़ता है. शर्म इस बात की भी है कि सरकार से
स्कूल की सुविधा बढ़ाने के लिए छात्राओं को मांग
क्यों करनी पड़ती है?
क्या ये
स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि इन सब बातों को तुरंत संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई की जाए? क्या
हर बात का हल तब निकलेगा जब तक कि अनशन ना हो,
चक्का
जाम न हो? एक तरफ पूरे देश को गर्व होता
है कि हमने दुनिया में एक साथ सौ से ज्यादा सैटेलाइट एक साथ अंतरिक्ष में पहुंचा दिया है तो दूसरी तरफ ये शर्मनाक है कि अब भी
मूलभूत सुविधाओं के लिए, सरकारों को
जगाने के लिए, उनकी आंखों पर सत्ता की बंद पट्टी खोलने के
लिए धरने पर बैठना पड़ता है? अगर सरकारें 'बेटी बचाओ,
बेटी
पढ़ाओ' जैसा नारा देती
हैं तो ये देखना ज़रूरी हो जाता है कि ऐसा सार्थक नारा केवल ना बनकर रह जाए...
P.S. - एक हफ्ते से ज्यादा चले लड़कियों के इस छोटे से लेकिन प्रभावी आंदोलन ने हरियाणा सरकार को झुका दिया. राज्य सरकार ने 17 साल पुरानी मांग को आखिरकार छात्राओं के अनशन के बाद मान लिया. अब गोठड़ा टप्पा डहीना गांव के 10वीं तक के स्कूल को अपग्रेड कर 12वीं तक कर दिया जायेगा.
P.S. - एक हफ्ते से ज्यादा चले लड़कियों के इस छोटे से लेकिन प्रभावी आंदोलन ने हरियाणा सरकार को झुका दिया. राज्य सरकार ने 17 साल पुरानी मांग को आखिरकार छात्राओं के अनशन के बाद मान लिया. अब गोठड़ा टप्पा डहीना गांव के 10वीं तक के स्कूल को अपग्रेड कर 12वीं तक कर दिया जायेगा.
फोटो साभार - Hindustan Times