स्वच्छता में कौन निकला सबसे आगे...


ये एक ऐसी प्रतियोगिता थी जिसका सरोकार आम आदमी के सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ा था. इस प्रतियोगिता से शहर धीरे-धीरे ही सही सफाई अभियान की तरफ आगे बढ़े हैं. स्वच्छता सर्वे 2017 में इस बार मध्य प्रदेश के दो शहर अव्वल आये हैं. पहला तो वो शहर है जिसे आम बोलचाल में 'चटोरों का शहर' कहा जाता है यानी इंदौर. पिछले साल इसी सर्वे में इंदौर पचीसवें स्थान पर था. यहां रात होते ही एक ऐसा बाज़ार खुलता है जो सिर्फ और सिर्फ चाट पकौड़े, हर तरह की नमकीन, मिठाइयों के लिए मशहूर है. लोग रात का खाना खत्म करने के बाद इस खाऊ गली में आकर मजे करते हैं. स्वच्छता सर्वे में दूसरा शहर है भोपाल जिसे राजा भोज की नगरी भी कहते हैं. करीब तीन साल पहले मैं एक प्रोग्राम के सिलसिले में भोपाल गया था. मैं शहर के ज़्यादातर हिस्सों में घूमा. तंग गलियों वाले भीड़ भाड़ वाले इलाके से लेकर खुले इलाकों तक. मै इतना ज़रुर कहूंगा कि शहर के कुछ हिस्से साफ सुथरे थे तो कुछ पर नगर निगम को बहुत काम करना था. चूंकि भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी भी है इसलिए नगर निगम का खास ध्यान शहर को चमकाने में रहता है. इस साल इसे स्वच्छता में दूसरा दर्जा मिला है तो जाहिर तौर पर इन तीन सालों के अंदर सफाई को लेकर पूरा ध्यान रखा गया होगा. 

अब बात उन राज्यों और शहरों की जो स्वच्छता रैंकिंग में या तो बहुत पीछे रह गये या फिर कहीं नहीं नज़र आये. सबसे पहले तो उन राज्यों की राजधानी से ही शुरूआत कर सकते हैं जो किसी भी राज्य का सबसे बेहतर चेहरा होती हैं. बिहार का पटना, उत्तर प्रदेश का लखनऊ, राजस्थान का जयपुर, पश्चिम बंगाल का कोलकाता, महाराष्ट्र का मुंबई. कई नाम हैं जो अपनी छाप छोड़ने में सफल नहीं रहे हैं. उत्तरी भारत और पूर्वोत्तर के राज्य स्वच्छता सर्वे में काफी पीछे हैं. क्या इसका कारण वहां के लोग हैं या फिर नगर निगम? मेरे ख्याल से दोनों. सरकारें और सरकारी मशीनरी अपना काम करती हैं और आगे भी करती रहेंगी. लेकिन, जब तक सफाई को लेकर लोगों का नज़रिया नहीं बदलेगा तब तक गंदगी शहर से नहीं जायेगी. शुरुआत अपने कमरों, घर और फिर मोहल्लों से करनी पड़ेगी. इसे अपनी ज़िम्मेदारी मानना पड़ेगा कि अपने आस पास को कभी गंदगी नहीं देखेंगे और इस पर तुरंत आगे बढ़कर कार्रवाई करेंगे. मेरे ख्याल में मानसिकता बदलने से काफी चीजें खुद ब खुद आसान हो जायेंगी. 

जिन मापदंडों पर स्वच्छता सर्वे में शहरों को सफाई में सर्वोच्च माना गया है उनमें सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, शौचालय, मॉनिटरिंग सिस्टम, नागरिकों का फीडबैक, सफाई को लेकर जागरुकता आदि हैं.
साभार: स्वच्छ सर्वेक्षण वेबसाइट

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