... खो गई हूं मैं
ना जाने क्या हुआ है मुझे आज
जान सी जा रही है
जैसे खो दिया है कुछ खास
ढूंढ रही हूं कब से कुछ
पर पाया नहीं अब तक कुछ
ढूंढू क्या ये भी पता नहीं
पर पाना है कुछ, जिसे जाना नहीं
तब खुद को देखा आइने में
आंसू भरे थे नयनों में
कई सवाल पूछा नयनों से
क्यों है तू?
कहां है तू?
देखती रही हूं उन नयनों को
बहती रही वे पर कुछ बोला नहीं
उतावली हो फिर पूछा मैंने
कौन है तेरा?
किसकी है तू?
किसलिए रोती है तू?
मैं देखती रही
वो रोती रही
मुश्किल हो रहा है अब सहना
बोल ना पा रही हैं ये नयना
तब लिखे सवाल वो मैंने
पन्नों पर
शायद ढूंढ पाऊं तब मैं
उनके उत्तर
प्यार हूं मैं
रहती हूं इक दिल में
प्यार के लिए
प्यार है मेरा
प्यार की हूं मैं
रोती हूं क्योंकि खो गया वो