रियो ओलंपिक: आगाज से भारत की उम्मीदों तक



रियो ओलंपिक में खेलों की शुरूआत होते ही भारत ने भी हॉकी में आयरलैंड को 3-2 से हराकर अच्छी शुरूआत का संकेत दिया है.. हालांकि हर बार जितने पदकों की उम्मीद से हम ओलंपिक में जाते हैं उतनी ही निराशा और मुट्ठी भर पदकों के साथ वापस भी आ जाते हैं।

हर चाल साल के बाद खेलों का महापर्व ओलंपिक आता है और हर चार के बाद हम एक बार फिर से आशावादी हो जाते हैं. पदक की आस में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारें कई घोषणाएं करती हैं. खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए हर जतन किए जाते हैं. प्रिंट मीडिया से लेकर टीवी मीडिया तक में ओलंपिक में पदकों की संभावनों को लेकर बहस छिड़ जाती है. लेकिन जब ओलंपिक खत्म होता है तो एक बार फिर निराशा हाथ लगती है.. सवा सौ करोड़ के देश में मुट्ठी भर ओलंपिक पदक भी हम नहीं ला पाते हैं. हमेशा की तरह इस बार भी ओलंपिक में भारत से कई खिलाड़ी गए हैं. अलग-अलग स्पर्धाओं में ये खिलाड़ी अपनी चुनौती पेश करेंगे. इस बार भारत ने अब तक का सबसे बड़ा दल ओलंपिक में भेजा है. भारतीय ओलंपिक संघ खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहा है.

भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव का दावा है कि इस बार भारत 12 से 15 पदक जीतने में सफल रहेगा. पिछली बार 2012 लंदन ओलंपिक में हमारे हाथ कुल मिलाकर 6 पदक लगे थे. उससे पहले 2008 बीजिंग ओलंपिक में कुल 3 पदकों से हमें संतोष करना पड़ा था, जबकि हमने 56 एथलीट भेजे थे. आपको याद होगा कि बीजिंग ओलंपिक में ही अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर रायफल शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता था. अभिनव बिंद्रा द्वारा जीता गया स्वर्ण पदक भारत का पहला ऐसा स्वर्ण पदक जिसे किसी खिलाड़ी ने व्यक्तिगत स्पर्धा में जीता था.. लेकिन तब से लेकर अब तक आठ साल निकल चुके हैं. 2012 लंदन ओलंपिक में 83 एथलीट भेजने के बावजूद हम एक भी स्वर्ण पदक हासिल नहीें कर पाए थे. भारत को केवल दो रजत और चार कांस्य पदकों से ही संतोष करना पड़ा था. अब आठ साल के बाद ब्राजील में होने वाले रियो ओलंपिक के लिेए एक बार फिर हमने कमर कसी है. इस बार 120 एथलीटों को लेकर सबसे बड़ा दल विशाल उम्मीदों के साथ ओलंपिक में चुनौती पेश कर रहा है.

रियो द जनेरियो में 21 अगस्त तक ओलंपिक खेला जायेगा. जैसा कि पिछले ओलंपिक में मिले पदकों से दोगुने पदकों की आशा की जा रही है तो एकबारगी ये देखना ज़रूरी हो जाता है कि इस बार कौन से ऐसे खिलाड़ी हैं जो पदकों की दौड़ में सबसे आगे हैं.

सबसे पहला नाम आता है पूर्व विश्व नंबर 1 बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल का. नेहवाल ने पिछली बार 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. सायना देश की एकमात्र बैडमिंटन खिलाड़ी बनी थी जिन्होंने ओलंपिक में पदक हासिल किया था. इस बार वो बेहतरीन फॉर्म में हैं और उनसे देश को पदक की पूरी उम्मीद है. सायना नेहवाल के साथ विश्व रैंकिंग में 10वीं वरीयता प्राप्त खिलाड़ी पी वी संधू और के श्रीकांत सहित चार और खिलाड़ी भी चुनौती पेश करेंगे. डबल्स में ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा भी अच्छे फॉर्म में चल रही है.

लॉन टेनिस में भारत अब तक का सबसे बड़ा दल भेज रहा है. खिलाड़ियों की इस फौज में कई चोटी के खिलाड़ी हैं जो दुनिया में नामी प्रतियोगिता को जीत कर लोहा मनवा चुके हैं. इसीलिए लॉन टेनिस में भारतीय चुनौती को कम करके नहीं आंका जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि विंबलडन चैंपियन सानिया मिर्जा, सातवीं बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहे लिएंडर पेस पदकों की मशाल को ज़िंदा रखने के लिए हर कोशिश करेंगे. सानिया मिर्जा महिला युगल में प्रार्थना थोंबारे और मिश्रित युगल में रोहन बोपन्ना के साथ जोड़ी बनाकर कोर्ट में उतरेंगी. लिएंडर पेस भी रोहन बोपन्ना के साथ जोड़ी बनाकर पुरुष युगल में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. पेस के पास ओलंपिक का अनुभव है वो 20 साल पहले भारत के लिए 1996 अटलांटा ओलंपिक में कांस्य पदक भी जीत चुके हैं.

पदकों की दौड़ में 8 भारतीय पहलवानों से बड़ी उम्मीदें की जा रहीं हैं. इनमें सबसे उपर अगर किसी नाम है तो वो हैं स्टार पहलवान योगेश्वर दत्त का. योगेश्वर लंदन ओलंपिक में 60 किलोग्राम फ्री स्टाइल वर्ग में कांस्य पदक जीत चुके हैं. वो काफी जुझारू और आसानी से हार नहीं मानने वाले पहलवानों में से एक हैं. योगेश्वर दत्त का ज़ोर इस बार स्वर्ण पदक पर है. योगेश्वर के अलावा, डोपिंग के तमाम विवादों पर विजय पाकर ओलंपिक में जाने वाले पहलवान नरसिंह यादव का नाम पदक लाने वाले पहलवानों में उपर माना जा रहा है. फ्रीस्टाइल कुश्ती में संदीप तोमर भी पदक लाने वाले पहलवानों में शामिल है.

मुक्केबाजी में विकास कृष्णन से भी देश को काफी उम्मीदें हैं. विकास ने इंचियोन एशियाई खेलों में अपने हिस्से कांस्य पदक किया था. विकास ने काफी समय से ओलंपिक की तैयारियों के लिए पसीना बहाया है.
जीतू राय शूटिंग में ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका नाम काफी पॉपुलर नहीं है. लेकिन ये बताना जरूरी है कि उन्होंने अजरबैजान के बाकू में आईएसएसएफ विश्व कप प्रतियोगिता में 10 मीटर एयर पिस्टल में रजत पदक जीता था. जीतू राय ने पिछले तीन साल में छठी बार विश्व कप पदक जीता है.

तीरंदाजी एक ऐसा खेल है जिसमें भारतीय खिलाड़ियों ने कई बार विश्व की प्रथम श्रेणी प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन किया है और मेडल भी जीते हैं. पूर्व विश्व चैंपियन डोला बनर्जी ने दावा किया है कि तीरंदाजी टीम रियो द जनेरियो में पदकों का खाता खोलने का काम करेगी. डोला को उम्मीद है कि इस बार दो ओलंपिक पदक  तीरंदाजी टीम जीतकर लायेगी. हालांकि हमें ये याद रखना होगा कि 2012 लंदन ओलंपिक के वक्त दीपिका कुमारी वर्ल्ड नंबर 1 थी. उनसे कम से कम एक पदक की काफी उम्मीद थी. लेकिन वो नाकाम रहीं.    

इतने बड़े नामों और अच्छे फॉर्म में एथलीटों के होने से भारतीय ओलंपिक संघ सीना ठोंक कर दोहरे अंकों में पदकों की उम्मीद कर रही है. लेकिन ये नहीं भूलना चाहिये कि ओलंपिक एथलीटों की क्षमता के साथ-साथ उनकी मानसिक दृढ़ता की भी कठिन परीक्षा लेती है. जो खिलाड़ी इस वैतरनी को पार करेगा वही पदक अपनी झोली में कर पायेगा. 

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