क्या होगा इन बच्चों का...


प्रवासी मजदूरों के बच्चे
देश तेजी से विकास कर रहा है. नई इमारतें, एक्सप्रेसवे, पुल, रेलवे ट्रैक और न जाने कितने क्षेत्रों में धड़ल्ले से निर्माण कार्य दिन-रात चल रहा है. ऐसे कार्यों को गति देने के लिए पूरे देश में तेजी से पलायन हो रहा है..ये पलायन प्रवासी मजदूरों का है..जो काम की तलाश में अपने घरों को छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर चले जाते हैं. कुछ अकेले तो कुछ परिवार को लेकर ही पलायन करते हैं. हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा कंस्ट्रक्शन यानि भवन निर्माण में प्रवासी मजदूर खपते हैं.

कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करते मजदूरों के बच्चे
एक अनुमान के मुताबिक, करीब 4 करोड़ प्रवासी मजदूर भवन निर्माण कार्यों में दिन रात लगे हैं. सबसे ज्यादा मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान से आते हैं. अब तो नॉर्थ ईस्ट से भी मजदूर आने लगे हैं. कंस्ट्रक्शन साइट के आसपास ही ये मजदूर रहते हैं. स्लम जैसे इलाके कुछ सालों के लिए नई बन रही इमारतों के पास बन जाते हैं. ऐसी जगहों पर मजदूर अपने परिवारों के साथ रहते हैं.

पैसों के लिए काम करते बच्चे
कभी परिवार के कुछ सदस्य भवन निर्माण के लिए मजदूरी करने जाते हैं तो कभी पूरा परिवार ही काम कर रहा होता है. ऐसे में इनके बच्चे कंस्ट्रक्शन साइट पर ही गंदगी और अस्वास्थ्यकर हालात में खेलते रहते हैं. बड़े होते रहते हैं. कभी कभी तो मामूली रकम देकर कॉन्ट्रैक्टर इनका शोषण भी करते हैं. इसे आप परिवार वालों की मजबूरी समझिए या फिर थोड़े और पैसे बन जाने की चाहत, वो इन बच्चों को भी गाहे-बगाहे काम पर लगा देते हैं.

मजदूरों के बच्चे
ना कोई स्कूल, ना टीचर और ना ही बेहतर भविष्य से इन बच्चों का पाला पड़ता है. सवाल उठता है कि, आखिर कोई कैसे किसी देश की भविष्य की तस्वीर खींच सकता है जहां के बच्चे विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर हैं?

राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा का एक भवन निर्माण क्षेत्र

Comments

Popular Posts